दिमाग को ताकतवर और नियंत्रित बनाएँ
INDEX :
अंदर की भावनाएं
दर्द एक पीड़ा
दर्द का रिश्ता
दिल का दर्द
अंदर की भावनाएं
रिश्तों को हम इंसान भावनाओं से जोड़ते हैं। और हमारे अंदर की भावनाएं कहाँ से उतपन होती हैं? जब हम हमारे दिमाग को वह भावना को अनुभव करने को कहते हैं, तब वही भावना हमारे रोम रोम में फैलती है और हमारे कण कण में उतपन होने लगती है।
तब हमारी भावनाओं के अनुसार, हमारा रक्तचाप ऊपर नीचे होता है। हमारे दिल पर इसका सीधा असर पढ़ता है।
दर्द एक पीड़ा
दर्द एक पीड़ा है। वह हमें अंदर से इसलिए कुरेड़ती है क्योंकि हमारा दिल हमारी विवशताओं के आगे झुक जाता है। हमारे शरीर को ज्ञात हो जाता है कि हमारे दिमाग ने कहीं न कहीं हार मान ली है।
लेकिन यह दिल है कि मानता नहीं।
तब हमारा दिल ज़ोर से धड़कने लगता है। वह हमें यह एहसास दिलाने का प्रयास कर रहा होता है कि हम अभी भी जिंदा हैं। हमारे पास आगे और भी कई अवसर आएंगे।
दिल का दर्द
लेकिन जब दिल देखता है कि दिमाग ने भी हार मान ली है तो वह भी निराश हो जाता है और वह भी दुखी हो जाता है।
तब हमारे रोम रोम में संकेत जाता है कि यह ऐसा दर्द है जो दिमाग दिल को फुसलाकर समझा नहीं पायेगा। इसलिए दिल से दर्द का रिश्ता गहरा है क्योंकि वह सबसे आखिर में हार मानता है।
दर्द का रिश्ता
दिमाग सब दिशाओं में विश्लेषण करने के बाद ही कोई निष्कर्ष निकालता है, इस प्रक्रिया में संवेदना काफी हद तक निष्क्रिय हो जाती है। जबकि संवेदनाओं का असर तात्कालिक यानी जज्बाती तौर पर रहता है। इसी के चलते दर्द जो एक शक्तिशाली भावना है दो लोगों को मजबूती से जोड़ने का काम सक्रियता से करती है। दर्द की अनुभूति भी जब एक जैसी परिस्थितियों के अन्तर्गत हुए हों और आपस में एक दूसरे से बाँटे (share किये हों) हों, तब ही दर्द का रिश्ता बन जाता है।जो बहुत मजबूत होता है और दर्द का रिश्ता कहलाता है
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